--असुविधाओं के आलम में लोग निजी अस्पतालों को जाने को मजबूर
लंबी (श्री मुक्तसर साहिब)
राज्य में बेहतर सेहत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का दम भरने वाली राच्य सरकार में खुद मुख्यमंत्री के पैतृक गांव के अस्पताल में सुविधाओं के अभाव से लोग दिक्कतों में हैं। यही नहीं उक्त अस्पताल की दयनीय हालत आस पास े लोगों को निजी व महंगे अस्पताल का रुख करने को मजबूर कर देती है।
गौरतलब है कि गांव बादल के सरकारी अस्पताल की दयनीय हालत तथा अव्यवस्थित सफाई से मरीजों को दिक्कत के साथ उसे साथ में आए परिजनों को भी बीमारी का भय बना रहता है। एक तरफ सरकार पांव पसार चुकी डेंगू की बीमारी से निपटने के दावे कर रही है तथा गांवों व शहरों में दवाई का छिड़काव किया जा रहा है दूसरी तरफ बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के साथ जोड़े जा रहे इस अस्पताल की दयनीय हालत दिए तले अंधेरे के समान है। अस्पताल के वार्डों में बने शौचालय बंद पड़े हैं, जिसे चलते लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। यही नहीं लोगों को सफाई के साथ पानी ढक कर रखने के निदेर्श देने वाले सेहत विभाग के उक्त अस्पताल की छत पर रखी पानी की टंकी का ढक्कन टूटा हुआ है। डाक्टरों के कमरों में लोगों के बैठने के लिए बने बैंच व टूटी कुर्सियां अपने हालात पर आंसू बहा रही हैं, जबकि मरीजों के बेड भी खस्ता हाल में हैं। मरीजों के होने वाले टेस्ट की रिपोर्ट के लिए कई बार दो-दो दिन का इंतजार करना पड़ता है क्योंकि यहां लेबोरेटरी में महज एक फार्मासिस्ट ही है। मरीजों के परिजनों के लिए लगाए टेलीविजन लंबे समय से बंद पड़े हैं तथा बिजली फिटिंग की हालत इस कद्र खस्ता है कि कई स्थानों पर नंगे लटकते तार हादसों को दावत दे रहे हैं। अस्पताल में उपचार करा रहे कुलवंत सिंह ने बताया कि उसे खुद तारों से करंट लग चुका है, जबकि मनियांवाला निवासी लखविंदर सिंह, सिक्खवाला की भजन कौर व गिद्दड़बाहा वासी महिंदर कुमार ने बताया कि घर की कमजोर आर्थिक परिस्थितियों में वह यहां सस्ते उपचार की आस में आए हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल की बदहाली का सामना करना पड़ रहा है। गांव बादल वासियों द्वारा हालांकि यह समस्या मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के ध्यान में भी लाई गई थी, लेकिन हालत फिर भी जस से तस बनी हुई है।
लंबी (श्री मुक्तसर साहिब)
राज्य में बेहतर सेहत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का दम भरने वाली राच्य सरकार में खुद मुख्यमंत्री के पैतृक गांव के अस्पताल में सुविधाओं के अभाव से लोग दिक्कतों में हैं। यही नहीं उक्त अस्पताल की दयनीय हालत आस पास े लोगों को निजी व महंगे अस्पताल का रुख करने को मजबूर कर देती है।
गौरतलब है कि गांव बादल के सरकारी अस्पताल की दयनीय हालत तथा अव्यवस्थित सफाई से मरीजों को दिक्कत के साथ उसे साथ में आए परिजनों को भी बीमारी का भय बना रहता है। एक तरफ सरकार पांव पसार चुकी डेंगू की बीमारी से निपटने के दावे कर रही है तथा गांवों व शहरों में दवाई का छिड़काव किया जा रहा है दूसरी तरफ बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के साथ जोड़े जा रहे इस अस्पताल की दयनीय हालत दिए तले अंधेरे के समान है। अस्पताल के वार्डों में बने शौचालय बंद पड़े हैं, जिसे चलते लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। यही नहीं लोगों को सफाई के साथ पानी ढक कर रखने के निदेर्श देने वाले सेहत विभाग के उक्त अस्पताल की छत पर रखी पानी की टंकी का ढक्कन टूटा हुआ है। डाक्टरों के कमरों में लोगों के बैठने के लिए बने बैंच व टूटी कुर्सियां अपने हालात पर आंसू बहा रही हैं, जबकि मरीजों के बेड भी खस्ता हाल में हैं। मरीजों के होने वाले टेस्ट की रिपोर्ट के लिए कई बार दो-दो दिन का इंतजार करना पड़ता है क्योंकि यहां लेबोरेटरी में महज एक फार्मासिस्ट ही है। मरीजों के परिजनों के लिए लगाए टेलीविजन लंबे समय से बंद पड़े हैं तथा बिजली फिटिंग की हालत इस कद्र खस्ता है कि कई स्थानों पर नंगे लटकते तार हादसों को दावत दे रहे हैं। अस्पताल में उपचार करा रहे कुलवंत सिंह ने बताया कि उसे खुद तारों से करंट लग चुका है, जबकि मनियांवाला निवासी लखविंदर सिंह, सिक्खवाला की भजन कौर व गिद्दड़बाहा वासी महिंदर कुमार ने बताया कि घर की कमजोर आर्थिक परिस्थितियों में वह यहां सस्ते उपचार की आस में आए हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल की बदहाली का सामना करना पड़ रहा है। गांव बादल वासियों द्वारा हालांकि यह समस्या मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के ध्यान में भी लाई गई थी, लेकिन हालत फिर भी जस से तस बनी हुई है।