Dec 03, 08:01 pm
काले दिन को याद कर हुए फिर रोंगटे खड़े
नरिंदर सलूजा, श्री मुक्तसर साहिब
दिन - शुक्रवार तिथि - 3 दिसंबर, 2010
समय - करीब चार बजे
स्थान - जिला कचहरी परिसर श्री मुक्तसर साहिब
लोग टकटकी लगाए अपनी निगाहें जिला एवं सेशन जज की अदालत की तरफ यह जानने के लिए जमाए थे कि जमीन में हिस्सा लेने की चाह में एक साथ चार जान लेने के आरोपी दामाद को अदालत क्या सजा सुनाएगी? जैसे ही अदालत ने कथित रूप से अपनी सास, ससुर, साले की पत्नी व उसकी महज तीन साल की बच्ची को गोली मार कर मौत के घाट उतार देने वाले हैवान बने दामाद के पिता को बरी कर दिया व उसके लिए सोमवार की तारीख तय की, लोगों के जेहन में ताजा हुआ गांव गंधड़ में 14 जून 2007 को हुए हत्याकांड का रोंगटे खड़े कर देने वाला मार्मिक दृश्य, जिससे एक बार सभी कंपकंपा गए।
गांव गंघड़ व आसपास के लोग आज भी घटना वाले उस काले दिन को नहीं भूल पाए हैं जिस दिन हैवान बना शैलेंदर सिंह अपने ससुरालियों के लिए मौत बनकर आया था। उस समय हैवानियत का भूत उस पर इस कदर सवार था कि गोलियां चलाते हुए उसने जो भी सामने आया उसे भून डाला। यहां तक कि अपनी तोतली जबान से उसे फुफ्फड़ जी कहने वाली महज तीन साल की नन्ही हरमन पर भी उसे तरस नहीं आया और उसने इस मासूम बच्ची के भी सिर में गोली दे मारी। शैलिंदर सिंह की 12 बोर बंदूक की गोलियों का निशाना बना उसका ससुर साधू सिंह, सास सुरिंदर कौर, साले की गर्भवती पत्नी जसविंदर कौर व उसकी बेटी हरमन का आखिर क्या कसूर था? हालांकि यह हत्याएं उसने ससुराल पक्ष की जायदाद में से हिस्सा मांगते हुए हिस्से की चाह में कर डाली, लेकिन इन बेकसूर लोगों की जान लेकर उसको जमीन-जायदाद में हिस्सा मिलना तो दूर जेल की सलाखें तो मिली ही हैं। बहरहाल अभी अदालत द्वारा फैसला सुनाया जाना बाकी है। जरूरत है इस तरह के हादसे व इसके परिणाम से सबक लेने की ताकि उक्त हादसे के कारण बर्बाद हुए दो घरों की तरह कोई और घर इस तरह बर्बाद न हो।