Nov 24, 07:15 pm
कब मिटेगी रेलिंग रहित जानलेवा रजबाहों की भूख
नरिंदर सलूजा, श्री मुक्तसर साहिब
नहरों व रजबाहों के रेलिंग रहित पुलों के कारण होने वाले विभिन्न हादसों से यदि प्रशासन ने सबक लिया होता, तो बुधवार हादसे में गई तीन जिंदगियां बचाई जा सकती थी। इससे पूर्व हुए हादसों में भी कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इतने हादसे होने और लोगों के अपनी जान से हाथ धोने पर भी प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
गौरतलब है कि रेलिंग रहित पुलों को लेकर सरकार एवं प्रशासन के आंखें मूंदने की वजह से अधिकांश रेलिंग रहित पुल हादसों का कारण बन रहे हैं। जिला श्री मुक्तसर साहिब के विभिन्न रजबाहों, नालों व नहरों पर कई पुल जानलेवा साबित होते रहे हैं। ऐसे ही एक हादसे में मोड़ रोड पर एक सरपंच व एक अन्य व्यक्ति की जान चली गई थी। यही नहीं कोटली रोड पर हुए हादसे में तो एक साथ चार कार सवार लोग रात के समय अपनी कार सहित सूए में डूबकर मौत के आगोश में समा गए थे। हालांकि इन हादसों के बाद आवश्यकता थी सबक लेकर पुलों पर रेलिंग बनाने के साथ इन पर रिफ्लेक्टर आदि लगाने की, लेकिन सरकार एवं प्रशासन ने इस तरफ ध्यान तक देना मुनासिब नहीं समझा। प्रशासन की यही बेरुखी तीन लोगों की जान पर फिर से भारी पड़ी है।
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परिजनों के रोकने के बावजूद नहीं माना आकाशदीप
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब
गांव थांदेवाला के लिए बुधवार को दिन काला रहा तथा एक साथ तीन लोगों की जान जाने के कारण गांव में सन्नाटा पसर गया। हालांकि इस घटना में मौत के मुंह में जाने वाले लोगों में से छह वर्षीय बालक आकाशदीप को परिवार के लोगों ने जाने से रोकने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन मौत उसे खींच कर ले गई। बिलखते हुए परिजनों ने बताया कि उन्होंने आकाशदीप को रोकने का हरसंभव प्रयास किया था, लेकिन होनी के आगे हमारी एक नहीं चली और वह जिद से कार में सवार होकर चला गया। परिवार के लोगों को रोते बिलखते देख आस-पास सांत्वना देते लोगों की आंखे बरबस ही डबडबाने लगती थी।
वहीं हादसे में राजबीर की भी मौत हो गई। उसकी डेढ़ महीना पहले ही शादी हुई थी। वहीं मंदर सिंह के परिवार के भी दोनों पोते मौत के मुंह में चले गए। मंदर सिंह के तीनों बेटों में से गुरमीत सिंह का 15 वर्षीय बेटा, अमरजीत सिंह का 6 वर्षीय बेटा आकाशदीप व बलजीत सिंह की 14 वर्षीय बेटी रमनदीप अपने माता-पिता की इकलौती संतानें थी। इस हादसे में परिवार की एक मात्र पोती रमनदीप कौर बाल-बाल बच सकी है।
Dec 02, 07:06 pm
यूं ही रेलिंग बनेंगी तो कैसे थमेंगे हादसे?
नरिंदर सलूजा, श्री मुक्तसर साहिब
शहर के विभिन्न रेलिंग रहित पुलों पर होने वाले हादसों तथा आगामी समय में धुंध के आ रहे मौसम को देखते हुए पुलों पर रेलिंग लगाने का काम आरंभ करवा दिया गया है। लेकिन रेलिंग बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला सामान कितना बेहतर क्वालिटी का है जिससे बनी रेलिंग हादसे रोकने में कामयाब होगी यह कह पाना संभव नहीं है। इसका अंदाजा गांव रुपाणा के निकट बनाई गई रेलिंग के टूट जाने से सहज ही लगाया जा सकता है। जरूरत है प्रशासन को इस तरह के कार्य बेहतर ढंग से करवाने की।
जानकारी के अनुसार गांव रुपाणा के पास नहर के रेलिंग रहित पुल पर विभिन्न हादसों के अलावा गत दिनों भी एक साइकिल सवार की नहर में गिरने से मौत हो गई थी। इस पुल पर हाल ही में बनाई गई रेलिंग बनने के कुछ ही दिन बाद टूटकर बिखर भी गई है। हालात यह है कि अब इस पुल पर बनाई हुई यह रेलिंग हादसे रोकने की बजाए हादसों को निमंत्रण जरूर दे रही है। आसपास के गांववासियों के अनुसार रेलिंग बनाते समय इस पर इस्तेमाल किया गया, मैटीरियल ही इस तरह का था कि यह रेलिंग किसी हादसे को रोकने से पहले ही खुद हादसे का शिकार हो गई।
उधर, रेलिंग बनाने वाले संबंधित ठेकेदार ने बताया कि उनके पास दूहेवाला के पुल के निर्माण का ठेका है, लेकिन विभागीय अधिकारियों के कहने पर उन्होंने आरजी तौर पर उक्त रेलिंग बनवा दी थी। उनके अनुसार यदि रेलिंग से कोई वाहन टकराएगा तो वह टूट ही जाएगी। लेकिन सोचने योग्य है कि प्रशासन द्वारा इस तरह बनवाई गई पुलों की रेलिंग क्या हादसे रोकने के लिए सक्षम होंगी?