ब्रेकिंग न्‍यूज

Shooting

Random Posts

* * बी टी टी न्यूज़ है आपका अपना, और आप ही हैं इसके पत्रकार अपने आस पास के क्षेत्र की गतिविधियों की वीडियो, ✒️ न्यूज़ या अपना विज्ञापन ईमेल करें bttnewsonline@yahoo.com पर अथवा व्‍हाटसअप्‍प व सम्पर्क करें मोबाइल नम्बर * * 7035100015 पर

Thursday, July 8, 2010

यह कहानी फिल्मी नहीं!


नरिंदर सलूजा, श्री मुक्तसर साहिब

अस्पताल में दो जुड़वां बहनें जन्म लेती हैं। एक बहन अस्तपाल में ही गायब कर दी जाती है। बताया जाता है कि वह मृत पैदा हुई थी, उसका संस्कार कर दिया गया। फिर अचानक 14 साल बाद वह लड़की जिंदा मिलती है। उसे उसकी बिछुड़ी हुई मां का आंचल और बहन का प्यार फिर नसीब होता है..यह कहानी फिल्मी नहीं, हकीकत है। श्री मुक्तसर साहिब में एक लड़की 14 साल बाद उसके परिजनों को मिली। गांव भुल्लर निवासी गुरतेज सिंह की पत्नी बलजीत कौर को 17 दिसंबर 1995 को एक नर्सिग होम में पता चला कि उसके गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं। इसी अस्पताल में बलजीत कौर ने 9 जनवरी 1996 को रात11 बजे दो बच्चियों को जन्म दिया। दोनों बच्चियों को कथित तौर पर अस्पताल का स्टाफ अपने साथ ले गया। दूसरे दिन एक बेटी परिवार को लौटा कर स्टाफ ने उनकी दूसरी बेटी के जिंदा न बचने की बात कहने के साथ उसका शव भी दफना देने की बात कह डाली। परिवार के अनुसार उस समय उन लोगों ने अस्पताल के स्टाफ पर विश्वास कर लिया। ग्यारह साल बाद यानी 2007 में एक दिन गुरतेज सिंह की श्री मुक्तसर साहिब में रह रही बहन रूपिंदर कौर ने अचानक बाजार में एक लड़की को अपने भाई गुरतेज सिंह की बेटी सुखदीप कौर समझकर आवाज लगाई क्योंकि शक्ल सुखदीप से काफी मिलती जुलती थी। लड़की को रोकने पर उसने बताया कि वह सुखदीप नहीं अमनदीप है और वह तिलक नगर में रहती है। इससे रूपिंदर कौर को कुछ शक हुआ और उसने छानबीन की। मोहल्ले के लोगों से पूछताछ की गई तो पता चला कि यह बच्ची जिसकी है उसे महिला ने जन्म नहीं दिया है बल्कि उसे अस्पताल से लाया गया था। इस पर रूपिंदर व उसके भाई गुरतेज सिंह के परिवार का शक यकीन में बदलने लगा। गुरतेज सिंह ने अस्पताल स्टाफ द्वारा अपनी बेटी को मृत बताकर किसी और को देने के आरोप लगाते हुए अस्पताल के दो डाक्टरों समेत सहित अन्य पांच नर्सो के खिलाफ एसएसपी से शिकायत कर दी। पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई नहीं करने पर यह मामला मीडिया में आ गया। दैनिक जागरण ने भी इस समाचार को प्राथमिकता से प्रकाशित किया था। इसके बाद पुलिस ने आठ सितंबर 2007 को विभिन्न धाराओं के तहत शिकायत में दिए सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया, लेकिन कार्रवाई फिर वही ढाक के तीन पात ही रही। थक हार कर गुरतेज सिंह ने अदालत में याचिका दायर कर इंसाफ की गुहार लगाई। अदालत में कश्मीर कौर ने कहा कि उसने यह बेटी गोद ली है, लेकिन वह गोदनामा नहीं दिखा पाई। करीब छह माह पूर्व ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट (फ‌र्स्ट क्लास) कंवलजीत सिंह की अदालत ने जन्म देने वाली मां को बच्ची सौंपने का आदेश दिया। अदालत के आदेश के बावजूद बच्ची न मिलने पर गुरतेज सिंह ने फिर से गुहार लगाई तो अदालत ने पुलिस को कड़ाई से बच्ची परिजनों तक पहुंचाने के आदेश दिए। पुलिस ने मंगलवार को अमनदीप को अदालत में पेश किया, जहां से उसे परिजनों के पास भेज दिया गया। मंगलवार रात बुआ के घर ठहरने के बाद बुधवार को गांव भुल्लर में अमनदीप अपने जन्म देने वाले माता-पिता व भाई बहनों के पास पहुंची तो पूरे परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। दैनिक जागरण के साथ बातचीत में सुखदीप ने बताया कि वह आठवीं में पढ़ती है तथा अपनी जुडवां बहन के घर आने पर उसे बेहद खुशी है। दूसरी तरफ अमनदीप ने भी खुशी का इजहार किया, लेकिन पूछने पर उसने पालपोस कर बड़ा करने वाली मां के प्रति भी उतने ही स्नेह का इजहार किया। उसने बताया कि वह चाहती है कि दोनों परिवार मिल जुल कर रहें। उसके विवाह आदि के समय सभी रस्म-ओ-रिवाज उसे पालने वाली मां कश्मीर कौर ही करे। अस्पताल स्टाफ के संबंध में एडवोकेट कंवलजीत सिंह हेयर ने बताया कि उन्होंने पुलिस द्वारा वर्ष 2007 में दर्ज केस कैंसल करने की सूरत में अदालत में याचिका दायर की हुई है। अस्पताल स्टाफ पर कार्रवाई संबंधी दायर याचिका का फैसला अभी होना है।

Lorem 1

BttNews TV