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Sunday, April 4, 2010

साधना ने दी सपनों को उड़ान

साधना ने दी सपनों को उड़ान

Feb 01, 12:29 pm

मुक्तसर [पंजाब], [नरिंदर सलूजा]। गुरजीत कौर खुश है, गरीबी अब उसकी तरक्की में बाधा नहीं। गिदड़बाहा के सरकारी स्कूल की इस चौदह वर्षीय छात्रा को उसका 'तारणहार' मिल गया है। वह जितना भी पढ़ना चाहे, पैसे की किल्लत आड़े नहीं आएगी। बस, उसे सिर्फ कड़ी मेहनत करनी होगी। लक्ष्य प्राप्ति के लिए संकल्प दिखाना होगा।

नौवीं की छात्रा गुरजीत कौर के पिता दर्शन सिंह मजदूरी करते हैं। वह कहते हैं कि डाक्टर साहब न होते, तो आठवीं से आगे बच्ची को पढ़ा न पाते। अनाथ परमिंदर कौर भी इसी कक्षा में पढ़ती है। राजमिस्त्री मामा के साथ रहती थी, लेकिन वह अपना ही गुजारा मुश्किल से कर पा रहे थे, लड़की को कहां से पढ़ाते। अब वह भी डाक्टर साहब के कृतज्ञ हैं। डाक्टर साहब यानी डॉ. राजविंदर सिंह, जो गुरजीत और उस जैसी लड़कियों का सहारा बने। गरीबी एवं कन्या भू्रण हत्या से चिढ़ने वाले डॉ. राजविंदर ने डाक्टरी छोड़कर व्यवसाय शुरू कर लिया है, ताकि गरीबों की मदद में पैसे की किल्लत न हो।

डॉ. राजविंदर कहते हैं कि गरीब व लाचार बच्चों को देखकर दिल में हूक उठती। कन्या भ्रूण हत्या रोज की बात थी। लगता कि क्यों लड़कियों से इतनी नफरत लोग करते हैं, लेकिन उनके भले के लिए कम ही आगे आते हैं। तभी सुना कि राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल गिदड़बाहा के स्कूली बच्चों को चंडीगढ़ स्थित सीएम हाउस दिखाने ले गए, ताकि वे गांव-कस्बे से बाहर की दुनिया देख सकें। यही घटना उनकी प्रेरणा बनी। अमेरिकी नागरिकता प्राप्त इस शख्स ने अपनी दिवंगत पत्नी साधना के नाम पर संस्था बनाई 'साधना-एक कोशिश' और गिदड़बाहा सरकारी कन्या स्कूल की 26 होनहार छात्राओं को गोद लिया। लड़कियों की पढ़ाई, किताबें, वर्दी आदि का पूरा खर्च वह वहन कर रहे हैं। कहते हैं, समर्थ लोगों को गरीब बच्चों की शिक्षा का जिम्मा लेना चाहिए।

सभी छात्राएं छठी से 12वीं कक्षा की हैं। उनके चयन में दो बातों का ख्याल रखा गया। पहली, छात्रा निर्धन हो और दूसरी यह कि पिछली कक्षा में कम से कम 70 प्रतिशत नंबर मिले हों। चयन का दायरा पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रखा गया। दो छात्राएं ऐसी भी हैं, जिनके नंबर तो कम थे, पर उनमें खेल प्रतिभा भरपूर है। राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं। 'साधना' ने दोनों को महंगे जूते दिलवाए, ताकि उनके हौसलों की उड़ान परवान चढ़ सके।

डॉ. राजविंदर के दो बच्चे हैं- 13 वर्षीय आलोक और 16 वर्षीया सिमरन कौर। दोनों डलहौजी में 8वीं व 10वीं में पढ़ते हैं। स्कूल के प्रिंसिपल सुखदेव सिंह के अनुसार, डॉ. राजविंदर ने लिख कर दिया कि वे लड़कियों की शिक्षा संबंधी जरूरतें पूरी करेंगे।

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